हेलमेट पहनकर काम कर रहे बिजली विभाग के कर्मचारी, जर्जर भवन से रोजाना टपक रहा खतरा

रीवा शहर से एक अजब-गजब लेकिन गंभीर तस्वीर सामने आई है। नेहरू नगर स्थित बिजली विभाग (एमपीईबी) के कंट्रोल रूम में कर्मचारी हेलमेट पहनकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं। वजह यह है कि महज छह साल पहले बना यह भवन अब जर्जर हो चुका है और इसकी छत और दीवारों से लगातार प्लास्टर झड़ रहा है। हाल ही में छत का हिस्सा भरभराकर गिरा और एक कंप्यूटर ऑपरेटर के पैर पर आ गिरा। गनीमत रही कि सिर बच गया, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
कंप्यूटर ऑपरेटर आश्रित मिश्रा ;-
घटना के बाद सहकर्मी इतना सहम गए कि अब खुद को सुरक्षित रखने के लिए वे हेलमेट पहनकर काम कर रहे हैं। यह नजारा आमतौर पर सब-स्टेशन या बिजली खंभों के पास देखने को मिलता है, लेकिन अब दफ्तर और कंट्रोल रूम के भीतर भी कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरणों का सहारा लेना पड़ रहा है।
कंप्यूटर ऑपरेटर आश्रित मिश्रा ने बताया कि कल काम करते समय अचानक छत का हिस्सा टूटकर गिरा। संयोग से वह कुर्सी थोड़ा पीछे खिसकाकर बैठे थे, जिससे गंभीर चोट से बच गए। उन्होंने कहा कि अब सिर की सुरक्षा सबसे जरूरी हो गई है, इसलिए दफ्तर में भी हेलमेट पहनना मजबूरी है। रोज डर के साए में काम करना पड़ता है।
मेंटीनेंस प्रभारी अनिल सिंह;-
मेंटीनेंस प्रभारी अनिल सिंह का कहना है कि यह सब घटिया निर्माण का नतीजा है। उनका कहना है कि भवन अभी छह साल पहले ही बना था, लेकिन हालात इतने खराब हैं कि पूरी इमारत खंडहर जैसी हो गई है। छत से आए दिन प्लास्टर गिरता है। शौचालय तक जाने में डर लगता है कि कहीं छत न टूट जाए। अनिल सिंह ने आगे कहा कि वे चार साल से इस समस्या को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत कर रहे हैं। कई बार निरीक्षण भी हुआ, लेकिन हर बार सिर्फ खानापूर्ति कर फंड की बात कहकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
कर्मचारियों का कहना है कि कार्यालय और कंट्रोल रूम की हालत इतनी खतरनाक है कि किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। वे कई बार विभागीय अधिकारियों को भवन की स्थिति से अवगत करा चुके हैं, लेकिन सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनकी मांग है कि तत्काल भवन की मरम्मत या वैकल्पिक व्यवस्था की जाए, ताकि रोजमर्रा का कामकाज जान जोखिम में डालकर न करना पड़े।
नेहरू नगर स्थित एमपीईबी कार्यालय की यह तस्वीर अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब खुद बिजली विभाग के कर्मचारी सुरक्षित नहीं हैं तो आम उपभोक्ता की सुरक्षा की जिम्मेदारी कैसे निभाई जा रही है। छह साल पुराना यह भवन भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुका है और अब कर्मचारियों की जान पर बन आई है।
