जगत जननी माँ खन्धो कालिका माई : शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभ आरंभ, आस्था और परंपरा का भव्य संगम।

रीवा और गोविंदगढ़ की धरती धार्मिक परंपराओं, सांस्कृतिक धरोहरों और आस्था की गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है। यहाँ के मंदिर, तालाब और पर्व केवल पूजा-अर्चना का केंद्र ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और लोक संस्कृति के आधार भी हैं। इन्हीं में से एक है गोविंदगढ़ नगर में स्थित जगत जगजननी माँ खन्धो कालिका माई मंदिर, जिसकी स्थापना 1850 में महाराज विश्वनाथ प्रताप सिंह ने की थी।
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ-साथ रीवा का रानी तालाब स्थित कालिका माई मंदिर भी यहाँ की पहचान और गौरव का प्रतीक है। इन दोनों मंदिरों का उल्लेख शारदीय नवरात्रि के अवसर पर और अधिक प्रासंगिक हो जाता है, क्योंकि यहाँ परंपरा, आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
माँ खन्धो कालिका माई की स्थापना और इतिहास
गोविंदगढ़ का यह मंदिर 1850 में स्थापित किया गया था। रियासत कालीन इतिहास में दर्ज है कि महाराज विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इस मंदिर की नींव रखी और इसे विंध्य की आस्था का केंद्र बनाया।
मंदिर के मुख्य पुजारी महावीर पांडा थे, जिनके वंशज आज बुधौलिया परिवार कहलाते हैं। यह परिवार कई पीढ़ियों से माता की सेवा करता आ रहा है। मंदिर की परंपरा केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह समाज में नैतिक मूल्यों और एकता का केंद्र भी बनी।
मुख्य पुजारी संजय बुधौलिया बताते हैं कि माता की सेवा और पूजा हमारे परिवार की धरोहर है। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीवन का एक संकल्प है। नवरात्रि में माता की महिमा का दर्शन करने हजारों लोग आते हैं और माता रानी की कृपा प्राप्त करते हैं।
रीवा की रानी तालाब की कालिका माई
रीवा के रानी तालाब स्थित कालिका माई मंदिर का भी महत्व अत्यंत बड़ा है। रियासत काल में महारानी और राजपरिवार यहाँ नियमित पूजा-अर्चना करने आते थे। यह मंदिर आज भी नवरात्रि और दुर्गा अष्टमी पर विशाल मेले का केंद्र बनता है।
यहाँ देवी का श्रृंगार, कन्या पूजन और अखंड ज्योति का आयोजन भक्तों की गहन आस्था का परिचायक है। रानी तालाब क्षेत्र नवरात्रि के दौरान दीपों की रोशनी और भक्ति संगीत से जीवंत हो उठता है।
शारदीय नवरात्रि 2025 : आरंभ और महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से आरंभ होगी और दस दिनों तक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तिथि तक चलता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की पूजा होती है।
घटस्थापना और कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त
इस बार नवरात्रि में घटस्थापना के लिए तीन प्रमुख मुहूर्त मिल रहे हैं।
1. पहला मुहूर्त – सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक
2. दूसरा मुहूर्त – सुबह 09:11 बजे से 10:43 बजे तक
3. तीसरा मुहूर्त (अभिजीत) – 11:49 बजे से 12:38 बजे तक
इसके अलावा पूरे दिन शाम 07:58 बजे तक शुक्ल योग रहेगा। वहीं कन्या लग्न का मुहूर्त सुबह 06:09 बजे से 08:06 बजे तक विशेष फलदायी माना गया है।
कलश स्थापना का महत्व और मंत्र
कलश स्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसे घर की समृद्धि, सुख और शांति का प्रतीक माना गया है।
स्थापना के समय यह मंत्र बोला जाता है:
ॐ आ जिघ्र कलशं मह्यं त्वा विशन्त्विन्दवः।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
शारदीय नवरात्रि 2025 में बनने वाले विशेष योग
इस वर्ष नवरात्रि में कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है।
महालक्ष्मी योग, सूर्य ग्रहण योग, समसप्तक योग, षडाष्टक योग, गजलक्ष्मी योग, नवपंचम योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह समय कुछ राशियों के लिए अत्यधिक शुभ और फलदायी रहेगा।
विंध्य क्षेत्र की नवरात्रि परंपराएँ
रीवा और गोविंदगढ़ में नवरात्रि का उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।
1. अखंड ज्योति
नवरात्रि में घर-घर और मंदिरों में अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। इसे माँ दुर्गा की कृपा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
2. देवी जागरण और भजन संध्या
रातभर भजन, कीर्तन और देवी जागरण का आयोजन होता है। भक्तजन ढोलक, मंजीरे और हारमोनियम की धुन पर माँ के भजनों में लीन रहते हैं।
3. गरबा और सांस्कृतिक आयोजन
रीवा, सतना और आसपास के क्षेत्रों में अब गरबा और डांडिया की परंपरा भी लोकप्रिय हो गई है। युवा वर्ग इसे भक्ति और आनंद का संगम मानकर उत्साह से शामिल होता है।
4. मेले और सामाजिक आयोजन
गोविंदगढ़ और रानी तालाब में नवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले लगते हैं। दुकानों, झूलों और सांस्कृतिक मंचों से वातावरण उल्लासपूर्ण हो उठता है।
माँ खन्धो कालिका माई का नवरात्रि उत्सव
नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं: –
घटस्थापना और दुर्गा सप्तशती पाठ
कन्या पूजन और भंडारा
विशेष श्रृंगार और झाँकी दर्शन
रामलीला और सांस्कृतिक मंचन
मुख्य पुजारी संजय बुधौलिया बताते हैं कि इन दिनों मंदिर में इतना उत्साह होता है कि पूरा नगर माता की भक्ति में सराबोर हो जाता है।
धार्मिक पर्यटन की संभावना
गोविंदगढ़ किला, प्राकृतिक झरने और कालिका माई का मंदिर मिलकर इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बना सकते हैं। रीवा का रानी तालाब भी आस्था और सौंदर्य का अद्वितीय उदाहरण है। यदि सरकार और समाज मिलकर इन स्थलों का विकास करें तो यह क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बना सकता है।
गोविंदगढ़ की माँ खन्धो कालिका माई और रीवा की रानी तालाब स्थित कालिका माई आस्था, परंपरा और इतिहास के जीवंत प्रतीक हैं। इनसे जुड़ी सेवाएँ, परंपराएँ और लोक संस्कृति न केवल विंध्य क्षेत्र की पहचान हैं, बल्कि यह पूरे हिंदू समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं।
शारदीय नवरात्रि 2025 इस बार शुभ योगों और विशेष मुहूर्तों के साथ आरंभ हो रही है। यह पर्व केवल पूजा-अर्चना का अवसर नहीं, बल्कि एक ऐसा समय है जब समाज एकजुट होकर शक्ति, भक्ति और संस्कृति का उत्सव मनाता है।
