ताज़ा खबर

अब भाजपा को चाहिए निर्णायक अध्यक्ष — जो कांग्रेस के अंत की आख़िरी पटकथा लिख सके, और वह नाम है: शिवराज सिंह चौहान

नरेंद्र बुधौलिया narendravindhyasatta@gmail.com जुलाई 15, 2025 11:03 AM   City:नई दिल्ली

देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस समय अपने नेतृत्व के अगले चरण में प्रवेश करने की तैयारी में है। भाजपा का वर्तमान स्वरूप, इसकी वैचारिक स्पष्टता, संगठनात्मक मजबूती और चुनाव दर चुनाव विजय का सिलसिला — इन सबके मूल में दो व्यक्तित्वों का योगदान सबसे बड़ा रहा है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। परंतु नेतृत्व का कोई भी तंत्र स्थायी नहीं होता — एक समय आता है जब नई दिशा, नया चेहरा और नई रणनीति की आवश्यकता होती है।

ऐसे में जब भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा — इस पर पार्टी के भीतर और बाहर अटकलें लगाई जा रही हैं — तो यह प्रश्न केवल नाम का नहीं, भविष्य की राजनीति का निर्धारण करने वाला है। यदि संगठन को कांग्रेस को शेष राज्यों में भी समाप्त करना है, विपक्ष की छटपटाती साँसों को रोकना है और 2029 का लक्ष्य आज ही तय करना है, तो एक ही नाम है जो इस चुनौती को न सिर्फ स्वीकार सकता है बल्कि सफलता में बदल सकता है — शिवराज सिंह चौहान।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पतन की पटकथा: शिवराज की रणनीति से



मध्यप्रदेश, जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, वहाँ आज कांग्रेस एक नाम मात्र की पार्टी बनकर रह गई है। इसका श्रेय एक ही व्यक्ति को जाता है — शिवराज सिंह चौहान।

वर्ष 2003 में जब उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा ने 173 सीटें जीतकर कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका, तब भी ये एक अस्थायी झटका माना गया था। लेकिन आने वाले वर्षों में कांग्रेस को सिर्फ सत्ता से नहीं, ज़मीन से भी उखाड़ने वाला जो अभियान चला, वो शिवराज के नेतृत्व में ही आगे बढ़ा।

2005 की परिस्थितियाँ कठिन थीं। उमा भारती का नेतृत्व पार्टी के भीतर विभाजन की ओर बढ़ रहा था। बाबूलाल गौर की अस्थायी सरकार भी कोई स्थायी समाधान नहीं थी। पार्टी की केंद्रीय लीडरशिप संकट को समझ चुकी थी और तब शिवराज को याद किया गया — एक ऐसा नेता जो दिल्ली में सांसद रहते हुए भी प्रदेश की राजनीति पर पैनी नजर बनाए हुए था, और संगठन में हर गुट के साथ संवाद रखता था।

पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने अख़बार में दो ऐतिहासिक लेख लिखे — जिनकी पंक्तियाँ आज भी भाजपा कार्यकर्ताओं को याद हैं:

“शिव ही सुंदर है” और “चुके मत चौहान”।

यह कोई भावनात्मक अपील नहीं, बल्कि संगठनात्मक व्याकरण था — जो आने वाले युग की शुरुआत का संकेत था।

 राजनीति नहीं, प्रबंधन की उत्कृष्टता का नाम: शिवराज

शिवराज सिंह चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उन्होंने सत्ता को कभी लक्ष्य नहीं बनाया — बल्कि सेवा और संगठन को अपनी प्राथमिकता रखा। मुख्यमंत्री बनने से पहले ही उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा, यह जानते हुए भी कि हार होगी — क्योंकि वे संगठन को यह दिखाना चाहते थे कि वे मैदान में हैं, पूरी तरह तैयार।

मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जो रणनीतियाँ अपनाईं, वे केवल चुनावी नहीं, बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक भी थीं।

* चंबल से डाकुओं का सफाया,

* भू-माफियाओं के खिलाफ सीधे एनकाउंटर,

* उद्योगों को पीथमपुर और मंडीदीप में पुनर्जीवित करना,

* सड़क, शिक्षा, बिजली और स्वास्थ्य के मोर्चों पर तेज़ काम,

* और सबसे महत्वपूर्ण — ‘जनता के बीच’ लगातार संवाद।

2008 का चुनाव, जो उनके लिए अग्निपरीक्षा था, उन्होंने आत्मविश्वास से जीता। 2013 में पार्टी को पुनः 200 से अधिक सीटों के मुकाम पर पहुँचाया। और जब 2018 में बहुमत से थोड़े अंतर से भाजपा चूक गई, तब भी उन्होंने नेतृत्व नहीं छोड़ा — बल्कि 2020 में सत्ता में वापसी की।

 2023 और 2024 की विजय: शिवराज का निर्णायक नेतृत्व

2023 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा के सामने सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस का संगठित प्रचार तंत्र खड़ा था, तब शिवराज सिंह ने अपनी ज़मीनी पकड़ और संगठन क्षमता का ऐसा प्रदर्शन किया कि भाजपा 160+ सीटें लेकर सत्ता में लौटी।

2024 में लोकसभा की 29 में 29 सीटें जिताना — सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रबंधन का शिखर है।

शिवराज ने नारा नहीं गढ़े, नीति और प्रबंधन गढ़े। उनकी शैली में न तो आक्रामक उग्रता है, न ही मौन रहकर सत्ता भोगने की लालसा — वे संवाद से विपक्ष को तोड़ते हैं, विकास से जनता को जोड़ते हैं, और संगठन को समय से पहले सचेत करते हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष: संगठन और चुनाव दोनों का सेनापति चाहिए



भाजपा को अब एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए जो केवल चेहरा नहीं, बल्कि संपूर्ण संगठन का नेतृत्व कर सके।

* ऐसा अध्यक्ष जो जमीनी कार्यकर्ताओं की भाषा समझता हो,

* राज्यों के राजनीतिक संतुलन को महसूस करता हो,

* और विपक्ष की मनोवैज्ञानिक चालों को मात दे सके।

मोदी जी अध्यक्ष नहीं बनने जा रहे, अमित शाह का संगठन से स्थानांतरण पहले ही हो चुका है। इस समय भाजपा को एक ऐसे चेहरे की जरूरत है जो 2029 तक की यात्रा का मार्गदर्शक बने। और यह भूमिका शिवराज सिंह चौहान से बेहतर कोई नहीं निभा सकता।

कांग्रेस-मुक्त भारत का अंतिम अध्याय लिखने को तैयार शिवराज

जहाँ गुजरात में नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस की राजनीति का सफाया किया, वहीं मध्यप्रदेश में शिवराज ने विपक्ष को अस्तित्वविहीन बना दिया। अब समय आ गया है कि शिवराज को राष्ट्रीय स्तर पर वह भूमिका सौंपी जाए, जिसके लिए वे पूरी तरह उपयुक्त हैं।

शिवराज सिंह चौहान अध्यक्ष बनते हैं, तो यह तय है कि कांग्रेस जैसे बचे-खुचे राज्यों — राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल, तेलंगाना — में भी भाजपा की विजय यात्रा अजेय हो जाएगी।

भाजपा को अब सिर्फ चुनाव नहीं जीतने, राजनीतिक नक्शा बदलने वाला अध्यक्ष चाहिए। और यदि संगठन ने यह निर्णय किया, तो भारत जल्द ही एक नए राजनीतिक युग का साक्षी बनेगा।

शिव ही सुंदर है — पर इस बार ‘शिव ही सेनापति’ भी है।

अब निर्णय संगठन को करना है — देश तैयार है।