शिक्षा के मंदिर बने खंडहर, बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे।

जिले के अनेक प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति जर्जर भवनों के कारण अत्यंत चिंताजनक है। शिक्षा के मंदिर कहे जाने वाले ये विद्यालय अब खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं, जहां बच्चों की जान प्रतिदिन जोखिम में है। शासन-प्रशासन भवनों की मरम्मत और रख-रखाव के लिए बजट आवंटन के दावे तो करता है, किंतु जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने हुए हैं।
भिटवा माध्यमिक विद्यालय इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। यहां चार कक्षाओं में मात्र दो शिक्षक पदस्थ हैं। छात्रों की उपस्थिति न्यूनतम है। पूछे जाने पर शिक्षिका ने त्यौहार का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया। कक्षाओं के ब्लैकबोर्ड पर तिथि तक अंकित न होना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि शिक्षक शिक्षण कार्य के प्रति कितने उदासीन हैं।
जर्जर भवन, हर पल मंडराता खतरा;-
विद्यालय भवन की छत से प्लास्टर निकला हुआ ;-
विद्यालय भवन की छत से प्लास्टर झड़ चुका है और लोहे की सरिया तक बाहर दिखाई दे रही है। फर्श पर गहरी दरारें और उभरी चट्टानें बच्चों के लिए हर समय खतरा बनी रहती हैं। विद्यालय मुख्य सड़क के किनारे स्थित होने से यातायात का अतिरिक्त जोखिम भी बना हुआ है। परिसर में बाउंड्रीवाल तक नहीं है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह नदारद है।
विद्यालय की प्राचार्य रेखा सोंधिया का कहना है कि स्थिति से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, किंतु कार्रवाई के नाम पर केवल आश्वासन ही मिलता है।
मध्यान्ह भोजन और शौचालय की दुर्दशा;-
विद्यालय में मिलने वाला मध्यान्ह भोजन गुणवत्ता विहीन और बिना मेन्यू का परोसा जा रहा है। रसोइया का साफ कहना है कि (जो सामग्री मिलती है,) वही बना देते हैं। वहीं शौचालय पूरी तरह जर्जर और अनुपयोगी है। लड़के-लड़कियों दोनों के लिए अलग से कोई स्वच्छ सुविधा उपलब्ध नहीं है।
प्रशासन का पक्ष;-
रीवा कलेक्टर डॉ. प्रतिभा पाल ने बताया कि बरसात पूर्व जिले के विद्यालय भवनों का परीक्षण कराया गया था। इसमें 50 विद्यालयों को जर्जर घोषित कर वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। यदि अन्य विद्यालयों में भी ऐसी स्थिति पाई जाती है तो उन्हें सूची में सम्मिलित कर कार्रवाई की जाएगी।
