जिला पंचायत में अधिकारियों-कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का भंडाफोड।

रीवा जिले के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा क्रमांक 2 के कार्यपालन यंत्री एसबी रावत ने जिला पंचायत में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों पर गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सनसनी मचा दी है। उन्होंने एक विशेष एक्सक्लूसिव वीडियो बयान में विस्तारपूर्वक बताया कि किस प्रकार फाइलों को पैसे लेकर दबा दिया जाता है और जांच प्रक्रिया को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया जाता है।
वीडियो में कार्यपालन यंत्री एसबी रावत ने स्पष्ट रूप से कहा :-
जिला पंचायत में जो बाबू बैठे हैं, वे पूरे रीवा के दलाल हैं। पैसे लेकर दो लाइन लिख दिया जाता है कि जांच ठीक नहीं है। फरियादी मौजूद नहीं था या फिर अन्य कोई औचित्य दिखा दिया जाता है। इसके माध्यम से सैकड़ों मामलों को पूरी तरह से दबा दिया जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक ये अधिकारी पदस्थ रहेंगे, वास्तविक न्याय की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी। फाइलों को जांच के नाम पर उलझाकर लंबित रखा जाता है, जबकि दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाती।
प्रणाली पर गंभीर सवाल उठे,
एसबी रावत के इस गंभीर बयान के बाद व्यापक स्तर पर प्रश्न उठने लगे हैं कि रीवा जिले में जिला पंचायत के अंतर्गत कितने ऐसे मामलों की जांच प्रक्रिया जानबूझकर लटकाई गई है। उनके अनुसार, सैकड़ों शिकायतें ऐसी हैं जिन्हें पूरी तरह से उपेक्षित किया गया। खास बात यह है कि यह आरोप केवल ग्रामीण या विपक्षी नेताओं की ओर से नहीं, बल्कि एक सरकारी अधिकारी व कार्यपालन यंत्री द्वारा प्रत्यक्ष रूप से सामने लाया जा रहा है।
इस खुलासे ने प्रशासनिक व्यवस्था की साख पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। यह स्पष्ट हो चुका है कि भ्रष्टाचार का दुष्चक्र कितना व्यापक और सुनियोजित रूप से कार्य कर रहा है।
अब जब एक जिम्मेदार सरकारी अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया गया है, तो यह समय शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता की परीक्षा का है। विंध्य सत्ता समाचार पुनः सरकार से आग्रह करता है कि तत्काल निष्पक्ष जांच कराई जाए। दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि प्रशासनिक तंत्र की जवाबदेही जनता के सामने स्पष्ट हो।
विंध्य सत्ता समाचार वर्षों से रीवा जिले के प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, विकास कार्यों में गड़बड़ी, और जनता की उपेक्षा पर निरंतर विस्तारपूर्वक रिपोर्ट प्रकाशित कर शासन-प्रशासन को समय-समय पर आगाह करता रहा है।
विशेष टिप्पणी ,
यह अत्यंत गंभीर मामला प्रशासनिक तंत्र की मूलभूत कमजोरी और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है। यदि एक स्वयं सरकारी अधिकारी भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है, तो इसका अर्थ केवल व्यक्तिगत बयान नहीं, बल्कि व्यापक प्रणालीगत विफलता है।
देश के लोकतांत्रिक चरित्र का यह वह क्षण है जब शासन-प्रशासन को अपने कर्तव्यों की समीक्षा करनी होगी। जनता के विश्वास को पुनः स्थापित करने का एकमात्र रास्ता है। सख्त, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच। भ्रष्टाचार को संरक्षण देना राज्य और समाज के हित में नहीं।
