भ्रष्टाचार और टैंकर घोटाला बनाम जनता की असली ज़रूरतें

रीवा हो या वर्तमान मऊगंज जिला—वर्षों से सांसद और विधायक करोड़ों रुपये के वाटर टैंकर बांटते रहे। पर बड़ा सवाल है कि किस ग्रामसभा ने टैंकर की मांग और प्रस्ताव किया? जब ग्रामसभा का प्रस्ताव ही नहीं था तो आखिर टैंकर क्यों और किस आधार पर दिए गए?
जांच करने पर सामने आया कि कई पंचायतों में 10–15 टैंकर दिखा दिए गए, पर ज़मीनी स्तर पर टैंकर पहुंचे ही नहीं। वही सप्लायर पुराने टैंकरों को इधर-उधर घुमा कर नया बताकर भेजते रहे। यह करोड़ों का घोटाला है।
ताज़ा मामला नईगढ़ी जनपद पंचायत के रामपुर का है। वायरल लिस्ट में दो टैंकर दिखाए गए, जबकि पहले ही 10–15 टैंकर आवंटित बताए जा चुके हैं। हकीकत यह है कि सरपंच खुद मानते हैं—आज तक केवल एक ही टैंकर मिला है। बाकी टैंकर कहाँ गए, यह किसी को नहीं पता।
अगस्त क्रांति मंच के संयोजक कुंज बिहारी तिवारी ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की मांग की है। उनका कहना है—
“जनता की मांग पर एक शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा, जबकि करोड़ों का खेल टैंकरों में हो रहा है। गरीब परिवार आज भी मजबूरी में अपने मृत परिजनों को कंधे, ठेले या साइकिल पर ले जाने को विवश हैं—यह पूरे क्षेत्र के लिए शर्म की बात है।”
जनपद पंचायत अध्यक्ष नईगढ़ी ममता कुंज बिहारी तिवारी ने बताया कि शव वाहन की मांग पूर्व प्रभारी मंत्री श्री बिसाहूलाल जी के माध्यम से कलेक्टर रीवा को पत्र लिखकर की गई थी, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली।
यह स्पष्ट करता है कि—
जनता की असली ज़रूरतों की अनदेखी हो रही है।
भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा कर जनता का पैसा टैंकरों में डुबोया जा रहा है।
गरीब और आम आदमी आज भी बुनियादी सुविधा (शव वाहन) से वंचित है।
