धराली आपदा की भयावह तस्वीरें ..जो दिखाती है खौफ़नाक मंजर।

धराली आपदा प्रबंधन के बीच शासन, प्रशासन के लिए स्थानीय निवासियों का विश्वास जीतना बड़ी चुनौती बन गया है। प्रशासन का पहला फोकस गंगनानी से ऊपर गंगोत्री तक फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है। सात अगस्त को रेस्क्यू अभियान शुरू होने के पहले दिन से प्रशासन ने यही रणनीति अपनाई है। इस बीच आपदा में अपना घर-बार लुटा चुके और अपनों को खो चुके लोगों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। उनका आरोप है कि सरकार स्थानीय लोगों को छोड़ बाहर के यात्रियों पर ज्यादा ध्यान दे रही है।धराली आपदा की भयावह तस्वीरें चंद मिनटों में सोशल मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया में पहुंच चुकी थी। विश्व प्रसिद्ध चार धामों से एक गंगोत्री धाम के निकट हुए इस हादसे ने हर किसी का ध्यान खींचा। ऐसे में विभिन्न प्रदेशों के लोग यहां फंस गए। सड़क मार्ग बंद होने के चलते हेली से लोगों को रेस्क्यू कर नीचे लाना एकमात्र विकल्प था। प्रदेश की पर्यटन और तीर्थाटन की साख देश-दुनिया में खराब न हो, प्रशासन ने गंगनानी से ऊपर विभिन्न स्थानों पर फंसे लोगों को नीचे लाने में प्राथमिकता दी। हालांकि इसमें दूसरे प्रदेशों के यात्रियों के साथ स्थनीय लोग भी शामिल थी।उत्तरकाशी के धराली में प्राकृतिक आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों को उत्तराखंड सरकार सहायता राशि देगी। इस आपदा में जिन लोगों के मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, उन्हें भी सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को दो घोषणाएं कीं।उत्तरकाशी के धराली आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए शनिवार दोपहर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। इसके तहत आपदा में पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के लिए 5 लाख रुपए की तत्काल सहायता राशि दी जाएगी। आपदा में मृतकों के परिजनों को भी 5 लाख रुपए की सहायता राशि दी जा रही है। इससे उन्हें तात्कालिक रूप में आर्थिक सहारा मिल पाएगा।मुख्यमंत्री ने बताया कि आपदा प्रभावित ग्राम वासियों के पुनर्वास, समग्र पुनरुद्धार एवं स्थायी आजीविका के सुदृढ़ीकरण के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। राजस्व विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित की गई यह समिति एक सप्ताह के भीतर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। यह समिति धराली गांव के भविष्य के लिए दीर्घकालिक एवं प्रभावी नीति का खाका तैयार करेगी, जिससे स्थानीय समुदाय की सुरक्षा और आजीविका सुनिश्चित की जा सके।
धराली आपदा की भयावह तस्वीर ;-
