चाकघाट में शिक्षा का मजाक! परीक्षा हॉल में खुलेआम किताब से नकल, पूरा धंधा उजागर : जांच के आदेश।

रीवा जिले का चाकघाट एक बार फिर नकल के गढ़ के रूप में सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। वीडियो में छात्र-छात्राएं परीक्षा कक्ष में धड़ल्ले से किताब खोलकर उत्तर लिखते नजर आ रहे हैं। न किसी को निगरानी का डर था, न अनुशासन का खौफ। मानो यह परीक्षा न होकर कोई खेल तमाशा हो।
छात्र-छात्राएं परीक्षा कक्ष में धड़ल्ले से नक़ल करते हुए ;-
पूरा मामला यूपी सीमा से लगे टीडी कॉलेज, चाकघाट का है, जो अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध है। बताया गया कि यहां परीक्षा हॉल में प्रबंधन ने छात्रों से रुपए लेकर नकल कराने की खुली छूट दे दी। नकल की स्थिति ऐसी थी कि किसी भी छात्र के हाथ में पूरी किताब थमा दी गई थी, पर्ची या चिट की भी ज़रूरत नहीं थी। जो छात्र नकल में कमजोर थे, उनके लिए कॉलेज प्रबंधन ने अलग से विद्यार्थी बैठा दिए ताकि वे उनकी मदद कर सकें।
वायरल वीडियो बीएससी बीएड की जूलॉजी परीक्षा का बताया जा रहा है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि छात्र-छात्राएं टेबल पर किताब रखकर उत्तर कॉपी में लिख रहे हैं। इतना ही नहीं, यदि किसी प्रश्न को लेकर किसी को दिक्कत आती थी तो वहीं परीक्षा हॉल में आपस में बातचीत कर समाधान निकालने की भी छूट थी। परीक्षा हॉल पूरी तरह बाजार जैसा दृश्य पेश कर रहा था।
इस पूरे प्रकरण को लेकर अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा विभाग, प्रो. आर.पी. सिंह ने मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा यह घोर लापरवाही है। संचालित परीक्षा की जांच के निर्देश दिए गए हैं। मैंने तत्काल उड़नदस्ता रवाना करने के लिए कहा है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी माना कि चाकघाट क्षेत्र पहले से ही नकल के मामलों में बदनाम है और पूर्व में भी कई बार वीडियो सामने आने पर कार्रवाई की जा चुकी है। लेकिन बार-बार इस तरह के मामले सामने आना शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि चाकघाट क्षेत्र में कई प्राइवेट कॉलेज संचालित हो रहे हैं, जहां पर पैसे लेकर खुलेआम नकल कराई जाती है। छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर यह कॉलेज मोटी कमाई करते हैं। शिक्षा का स्तर गिराने वाली इस मानसिकता ने चाकघाट की छवि को खराब कर दिया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या उच्च शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस बार नकल माफियाओं पर नकेल कस पाएगा, या फिर एक बार फिर कार्रवाई का आश्वासन देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
