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उप-मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल सादगी, प्रेम और सरलता से सम्पन्न असाधारण व्यक्तित्व

नरेंद्र बुधौलिया narendravindhyasatta@gmail.com अगस्त 17, 2025 11:14 AM   City:रीवा

राजेंद्र शुक्ल... मध्यप्रदेश के राजनीतिक क्षितिज में दैदीप्यमान वह प्रकाशपुंज हैं, जो उज्ज्वल भविष्य और चहुँओर विकास का प्रतीक है। उनका नाम विकास की भविष्योन्मुखी सोच और दूरदर्शी दृष्टिकोण का परिचायक है। उनकी दूरगामी दृष्टि, उसे धरातल पर उतारने की अटूट इच्छाशक्ति और जुझारू व्यक्तित्व उन्हें विशेष बनाते हैं। जन-जन के विकास के लिए बिना थके और बिना रुके सतत कार्यरत श्री शुक्ल की विनम्रता उनके व्यक्तित्व को असाधारण बनाती है। शिखर पर पहुँचने के बाद भी विनम्र बने रहना उनका सबसे बड़ा गुण है। वास्तव में, उन्हें विनम्रता का पर्याय कहना किसी भी तरह की अतिशयोक्ति नहीं होगी।

उप-मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल-;

निःस्वार्थ सेवा, अथक परिश्रम, गहन समर्पण, अटूट निष्ठा, जरूरतमंदों की सहायता के लिए सदैव तत्परता और लक्ष्य की ओर निरंतर यात्रा ने उन्हें भीड़ से अलग पहचान दिलाई है। वे नवोन्मेषी विचारक हैं। उनकी अंतरात्मा निरंतर गतिशील विचारों से ओतप्रोत रहती है। उनके नवाचार हर पल नए और विशिष्ट विचारों को जन्म देते रहते हैं। चुनौतियों का सामना करने और लक्ष्यों की प्राप्ति की दृढ़ शक्ति उनमें विद्यमान है। सौंपे गए दायित्वों को कुशलता से निभाने की क्षमता का आकलन कर विरोधी भी उनकी प्रशंसा करने से नहीं चूकते। कैसी भी बाधाएँ आएँ, वे बिना समय गँवाए और बिना विचलित हुए समाधान खोजने का प्रयास करते हैं। उनका मानना है..!

अगर आप समाधान का हिस्सा नहीं हैं, तो आप ख़ुद एक समस्या हैं।

वे कहते हैं..!

{श्रमेण सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः}

अर्थात श्रम से ही कार्य सिद्ध होते हैं, केवल इच्छाओं से नहीं।

लक्ष्य प्राप्ति के लिए सतत प्रयास करना मात्र सोच से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

संघर्ष और सेवा का उदाहरण;

राजेंद्र शुक्ल का जीवन संघर्ष और सेवा का जीवंत उदाहरण है। उनका व्यक्तित्व उदारता, सहृदयता, संवेदनशीलता और सज्जनता के अद्भुत संयोजन से निर्मित है। उनकी व्यापक चिंतन क्षमता ने उनके व्यक्तित्व में व्यवहारिकता और अध्यात्म का अनूठा मेल किया है। यही करिश्माई व्यक्तित्व और अनूठी सोच उनकी सफलताओं का आधार है।

श्री शुक्ल के जीवन में राजनीति का अर्थ सेवा रहा है। उनके व्यक्तित्व में सेवा-संकल्प का समर्पित भाव, चुनौतियों से जूझने का जुनून और समस्याओं को अवसर में बदलने की क्षमता है। वे बिना किसी दिखावे के हर वर्ग की समस्याओं को सुनते, समझते और उनके समाधान के लिए तत्पर रहते हैं। यही कारण है कि आम जन-मानस से उनका आत्मीय संबंध स्थापित हुआ है।

जीवन-यात्रा और राजनीति

श्री राजेंद्र शुक्ल का जन्म 3 अगस्त 1964 को रीवा (मध्यप्रदेश) में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा भी रीवा में ही हुई। छात्र जीवन से ही वे राजनीति और जनसेवा की ओर अग्रसर हुए। 1986 में वे रीवा इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 1992 में युवा सम्मेलन के आयोजन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।

उन्होंने 1998 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाए गए। 2003 में पहली बार विधायक निर्वाचित होकर आवास एवं पर्यावरण विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री बने। इसके बाद उन्होंने निरंतर अपनी विजय यात्रा कायम रखी।

ऊर्जा मंत्री के रूप में 2009 में उन्होंने अटल ज्योति योजना शुरू कर प्रदेश को 24 घंटे बिजली आपूर्ति की दिशा में ऐतिहासिक उपलब्धि दिलाई। उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश बिजली संकट से उबरकर सरप्लस बिजली राज्य बना।

2013 में वे मंत्री, ऊर्जा, खनिज साधन, जनसंपर्क, वाणिज्य एवं उद्योग, रोजगार तथा प्रवासी भारतीय विभाग जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का सफल निर्वहन कर चुके हैं। जनसंपर्क मंत्री के रूप में उन्होंने पत्रकारों के हित में अनेक योजनाएँ लागू कीं।

2018 में चौथी बार और 2023 में पाँचवीं बार विधायक निर्वाचित होकर 13 दिसम्बर 2023 को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वर्तमान में वे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और उत्कृष्ट बनाने के लिए सतत कार्यरत हैं। उनका लक्ष्य है, मध्यप्रदेश को स्वास्थ्य सेवाओं के मानकों पर देश में शीर्ष पर ले जाना।

विन्ध्य क्षेत्र के विकास के प्रति समर्पण;

विन्ध्य क्षेत्र के सर्वांगीण विकास का सपना देखने वाले श्री शुक्ल ने यहाँ की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यटन उन्नति को सदैव प्राथमिकता दी।

मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी

रीवा सोलर प्लांट (एशिया का सबसे बड़ा)

हवाई पट्टी व सौर ऊर्जा संयंत्र

रीवा बायपास, सड़क-पुल निर्माण

बीहर नदी रिवर फ्रंट

संस्कृत विश्वविद्यालय एवं माखनलाल विश्वविद्यालय परिसर

खेल-कूद हेतु स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स

शिक्षा, गौ-सेवा, स्वास्थ्य व स्वच्छता से जुड़े कार्

ये सब उनकी दूरदर्शिता और कार्यक्षमता के सशक्त उदाहरण हैं।

अंतिम उद्गार

श्री शुक्ल का जीवन दर्शन यह है कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा का पवित्र मार्ग है।

उनकी सोच और संकल्प को रेखांकित करती ये पंक्तियाँ प्रासंगिक हैं।

भीड़ में भीड़ बनकर रहे तो क्या रहे,

भीड़ में अपनी निजी पहचान होनी चाहिए।