खाद के लिए दर-दर भटकते किसान : रीवा में महिलाओं-बच्चों संग रातभर लाइनें, बारिश में भीगते रहे, फिर भी खाली हाथ लौटे।

मध्यप्रदेश में गहराते खाद संकट ने किसानों की नींद उड़ा दी है। धान और खरीफ फसलों की बुवाई के बीच खाद न मिलने से फसलें सूखने की कगार पर हैं। हालात यह हैं कि जैसे ही खाद का रैक जिले में पहुँचने की खबर मिलती है, समितियों और मंडियों के बाहर हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है। रीवा जिले की करहिया मंडी, चाकघाट वेयरहाउस और अन्य सहकारी समितियों के बाहर रविवार रात से ही किसानों का हुजूम दिखाई दिया।
करहिया मंडी में बेकाबू भीड़,
जिले की सबसे बड़ी करहिया मंडी में रविवार देर रात से किसान महिलाएं और बच्चों के साथ लाइन में लगे रहे। रात दो बजे बारिश शुरू होते ही भगदड़ जैसे हालात बने। मजबूर किसान पॉलीथिन, शॉल और टीन शेड के सहारे भीगने से बचने की कोशिश करते रहे। कई महिलाओं की गोद में छोटे बच्चे थे, जिन्हें लेकर वे पूरी रात मंडी परिसर में डटी रहीं। कतार इतनी लंबी हो गई कि मंडी परिसर से निकलकर करीब दो किलोमीटर तक फैल गई।
महिलाओं और बच्चों की दुश्वारी,
खाद वितरण की अव्यवस्था का सबसे ज्यादा खामियाजा महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ा। महिलाओं ने बताया कि वे शाम छह बजे से लाइन में खड़ी हैं, लेकिन न पानी की व्यवस्था है, न टॉयलेट और न ही सुरक्षा। संगीता सिंह ने कहा, बारिश में सिर छुपाने की जगह तक नहीं है। रातभर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं और इतनी भीड़ में महिलाओं के लिए शौचालय जाना भी मुश्किल है।
किसान नेताओं का आक्रोश,
स्थिति की जानकारी मिलते ही संयुक्त किसान मोर्चा के नेता मौके पर पहुंचे। राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं किसान संघर्ष समिति के वरिष्ठ नेता शिव सिंह एडवोकेट, किसान नेता इंद्रजीत सिंह शंखू, राजा शुक्ला और सचिन सिंह ने किसानों से बातचीत की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन किसानों की पीड़ा को अनदेखा कर रहा है। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुधरे तो आगामी गेहूं बुवाई के समय खाद का और बड़ा संकट खड़ा होगा। शिव सिंह एडवोकेट ने कहा, (जैसे गणेश विसर्जन हो रहा है, वैसे ही प्रदेश का किसान भाजपा सरकार का विसर्जन करेगा।)
कालाबाजारी पर उठे सवाल,
किसानों ने आरोप लगाया कि समितियों और दुकानों से खाद गायब कर बाद में ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है। एक किसान ने गुस्से में कहा, (खाद नहीं मिली तो हमारी फसलें चौपट हो जाएंगी।) अब तो आत्महत्या करने की नौबत आ जाएगी।
प्रशासन के दाव,
अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी ने बताया कि जिले में लगातार खाद की रैक प्राप्त हो रही है और सहकारी समितियों व निजी विक्रेताओं को खाद राजस्व अधिकारियों एवं कृषि विभाग की निगरानी में वितरित की जा रही है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपनी एक सप्ताह की आवश्यकता के अनुसार ही खाद का उठाव करें। प्रशासन का दावा है कि 27 अगस्त को सेमरिया, हरदुआ, मनगवां, बड़ा गांव, बम्हनी, सोहागी और अन्य समितियों में खाद वितरण किया गया है।
हकीकत जुदा,
प्रशासन चाहे दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी हालात अलग ही तस्वीर पेश करते हैं। करहिया मंडी में 36 घंटे बाद भी करीब 2000 किसान डटे हुए हैं। महिलाएं बच्चों को घर छोड़कर आधी रात से कतार में बैठी हैं। बुजुर्ग किसान जमीन पर लेटे दिखाई देते हैं, तो बच्चे ठंड से बचने के लिए शॉल में सिमटे रहते हैं। कहीं अगरबत्ती जलाकर मच्छरों को भगाने की कोशिश हो रही है, तो कहीं किसान खड़े-खड़े ही भोजन करने को मजबूर हैं।
